Diwali 2025 Diwali 2025: दीपावली कब मनाई जाएगी जानें तिथि और मुहूर्त

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Diwali 2025 date : दीपावली कब है जानिए तारीख और शुभ मुहूर्त

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। Diwali 2025 में,  21 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। 

दिवाली का त्योहार पाँच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और भाई दूज पर समाप्त होती है। 2025 में, यह क्रम इस प्रकार होगा:

  • धनतेरस: 18 अक्टूबर
  • नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): 20 अक्टूबर
  • दिवाली (लक्ष्मी पूजा): 21 अक्टूबर
  • गोवर्धन पूजा: 22 अक्टूबर
  • भाई दूज: 23 अक्टूबर

दिवाली की रात को, लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को दीपों, मोमबत्तियों और रंग-बिरंगे लाइटों से सजाते हैं, लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं, और पटाखे जलाते हैं। यह त्योहार परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाने, मिठाइयाँ बाँटने और नए वस्त्र धारण करने का अवसर होता है।

दिवाली के दौरान, विभिन्न पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, छोले भटूरे एक लोकप्रिय पंजाबी व्यंजन है, जो विशेष अवसरों पर तैयार किया जाता है। इसमें मसालेदार छोले करी के साथ तले हुए भटूरे परोसे जाते हैं, जो त्योहार की खुशियों में चार चाँद लगाते हैं। 

Diwali 2025 का शुभ मुहूर्त

दिवाली तिथि: 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 07:08 बजे से रात 08:12 बजे तक
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 03:44 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025, शाम 05:54 बजे

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि:

दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, धन, वैभव और शांति आती है। इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी जी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है।

 पूजा का शुभ मुहूर्त (2025)

दिवाली 2025 की तिथि: 21 अक्टूबर (मंगलवार)
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: शाम 07:08 बजे से रात 08:12 बजे तक

 लक्ष्मी पूजा की सामग्री

 माँ लक्ष्मी, गणेश और कुबेर जी की मूर्तियाँ या चित्र
 चावल, हल्दी, कुमकुम, रोली
 गंगाजल और शुद्ध जल
 दीपक (तेल/घी के) और अगरबत्ती
 फूल (विशेष रूप से कमल)
 लाल और पीला कपड़ा
 फल, मिठाई, नारियल
 पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
 चांदी/तांबे का कलश और सुपारी
 धन (चांदी/सोने के सिक्के या नोट)
 दीपावली विशेष भोग (खीर, बताशे, मेवा, मिठाई)

 लक्ष्मी पूजा विधि

1.घर और पूजा स्थल की सफाई करें
  • सबसे पहले पूजा स्थल और पूरे घर की सफाई करें
  • मान्यता है कि लक्ष्मी जी स्वच्छता और शुभता वाले स्थान पर ही निवास करती हैं।
  • घर के प्रवेश द्वार पर तोरण (आम/आसोपलव के पत्तों की बंदनवार) और रंगोली बनाएं।
  • मुख्य द्वार पर चावल और हल्दी से ‘शुभ-लाभ’ व ‘स्वस्तिक’ का चिन्ह बनाएं।
2. कलश स्थापना करें
  • पूजा स्थान पर चावल रखें और उस पर चांदी/तांबे का कलश रखें।
  • कलश में गंगाजल, सुपारी, फूल, अक्षत (चावल) और सिक्के डालें।
  • कलश के ऊपर पत्ते रखें और उस पर नारियल स्थापित करें।
3. लक्ष्मी-गणेश जी की स्थापना करें
  • माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी की मूर्तियाँ या चित्र रखें।
  • माँ लक्ष्मी को लाल कपड़े पर और गणेश जी को पीले कपड़े पर रखें।
  • लक्ष्मी जी के पास चांदी/सोने के सिक्के रखें।
5. लक्ष्मी जी का अभिषेक करें
  • लक्ष्मी जी की मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
  • फिर उन्हें गंगाजल से स्नान कराकर स्वच्छ वस्त्र अर्पित करें।
6. माँ लक्ष्मी की पूजा करें
  • हल्दी, कुमकुम, चावल और फूल अर्पित करें।
  • कमल का फूल और 11 दीपक जलाकर आराधना करें।
  • प्रसाद में मिठाई, खीर, बताशे और फल अर्पित करें।
7. लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्रों का जाप करें
  • “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • श्री सूक्त, लक्ष्मी चालीसा और गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • लक्ष्मी जी की आरती करें और शंख व घंटी बजाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलाएं।
8. धन और बही-खातों की पूजा करें
  • व्यापारी और व्यवसायी अपने बही-खाते (खाताबही) और धन की भी पूजा करें।
  • सिक्कों और नोटों पर कुमकुम और अक्षत लगाकर माँ लक्ष्मी से धन-संपत्ति की वृद्धि का आशीर्वाद मांगें।
9. दीप जलाकर घर के कोनों में रखें
  • दिवाली की रात घर के हर कोने में दीप जलाना शुभ माना जाता है।
  • मुख्य दरवाजे पर विशेष रूप से दीपक जलाएं, जिससे माँ लक्ष्मी का आगमन हो सके।
10. पटाखे जलाकर और मिठाइयाँ बाँटकर खुशियाँ मनाएँ
  • पूजा के बाद परिवार और मित्रों के साथ दिवाली मनाएँ।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें, जिससे माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहे।

 विशेष बातों का ध्यान रखे |

  • लक्ष्मी पूजन रात्रि के शुभ मुहूर्त में करें।
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि माँ लक्ष्मी स्वच्छता प्रिय हैं।
  • पूजा के दौरान अशुभ विचारों से बचें और मन को शांत रखें।
  • पूजा के बाद दीपों को रातभर जलने दें, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

दीपावली क्यों मनाई जाती है?

दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे अमावस्या (नई चंद्रमा की रात) के दिन कार्तिक मास में मनाया जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

दिवाली मनाने के पीछे कई धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. भगवान राम की अयोध्या वापसी:

    • रामायण के अनुसार, भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन की खुशी में अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर पूरे नगर को रोशन किया था। इसी घटना की याद में दिवाली मनाई जाती है।

  2. माता लक्ष्मी की पूजा:

    • दिवाली को धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

  3. भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया:

    • एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने दिवाली से एक दिन पहले राक्षस नरकासुर का वध किया था। इसके बाद लोगों ने खुशी में दीप जलाकर उत्सव मनाया।

  4. पांडवों की वापसी:

    • महाभारत के अनुसार, पांडव 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद इसी दिन हस्तिनापुर लौटे थे। उनकी वापसी की खुशी में लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया।

  5. जैन और सिख धर्म में महत्व:

    • जैन धर्म के अनुसार, इसी दिन भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था। सिख धर्म में, इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगल कैद से रिहा किया गया था।

दीपावली की 5 दिवसीय परंपरा

दीपावली सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि 5 दिनों का पर्व है:

  • धनतेरस (धनत्रयोदशी) – पहला दिन
  • नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) – दूसरा दिन
  • दीपावली (मुख्य पर्व) – तीसरा दिन
  • गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) – चौथा दिन
  • भाई दूज – पाँचवाँ दिन

 इस दीपावली, घर को दीपों से सजाएँ, माँ लक्ष्मी का स्वागत करें, गरीबों को दान करें और पूरे हर्षोल्लास से त्योहार मनाएँ! “दीप जलें तो रोशन आपका संसार हो, लक्ष्मी जी का घर में वास हो!” 🪔🙏

दिवाली पर क्या करें क्या न करें?

दिवाली हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो अमावस्या तिथि (कार्तिक मास) को मनाया जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

दिवाली पर करने योग्य कार्य
  • घर और कार्यस्थल की साफ-सफाई करें 🏡
  • घर को सजाएं और रंगोली बनाएं 🎨
  • दीप जलाएं और प्रकाश करें 🪔
  • लक्ष्मी-गणेश पूजन करें🙏
  • बही-खातों और धन की पूजा करें 📖
  • जरूरतमंदों को दान करें 🤲
  • पटाखे जलाएं लेकिन सावधानी से 🎇
  • मिठाइयाँ और पकवान बनाएं 🍬
  •  रिश्तेदारों और मित्रों को शुभकामनाएँ दें 📞
  • रातभर दीप जलाकर रखें 🏮
दिवाली पर क्या न करें?

घर में गंदगी न रखें – माँ लक्ष्मी स्वच्छता प्रिय हैं।
किसी का दिल न दुखाएँ – यह त्योहार प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है।
नशे से दूर रहें – दिवाली पर शराब और अन्य बुरी आदतों से बचें।
झगड़ा या कटुता न करें – इस दिन शांति और प्रेम बनाए रखें।
जरूरत से ज्यादा पटाखे न जलाएँ – पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएँ।

“दीप जलें तो रोशन आपका संसार हो, लक्ष्मी जी का घर में वास हो।” 🪔🙏

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