
दिवाली, जिसे “प्रकाश का पर्व” कहा जाता है, हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। यह हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। 2025 में दिवाली (Diwali Kab hai) 21 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।
दिवाली का उत्सव पाँच दिनों तक चलता है, जिसमें धनतेरस से शुरुआत होकर भाई दूज पर समापन होता है। इस दौरान लोग घरों को सजाते हैं, दीप जलाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं और मिठाइयाँ बाँटकर खुशियाँ मनाते हैं।
बड़ी दिवाली कब है 2025 में? (Badi Diwali Kab hai 2025?)
बड़ी दिवाली (Badi Diwali Kab hai) मुख्य रूप से कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है। 2025 में यह 21 अक्टूबर, मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। शाम को घरों को दीयों और लाइट्स से सजाया जाता है और माँ लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
छोटी दिवाली कब है 2025 में? (Choti Diwali Kab hai 2025?)
छोटी दिवाली (Choti Diwali Kab hai) को नरक चतुर्दशी या काली चौदस भी कहते हैं। यह दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। 2025 में छोटी दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, जिसकी याद में यह त्योहार मनाया जाता है।
दिवाली 2025 के पाँच दिनों का कैलेंडर
धनतेरस (18 अक्टूबर 2025, शनिवार) – धन्वंतरि जयंती, सोना-चाँदी खरीदने का शुभ दिन।
छोटी दिवाली / नरक चतुर्दशी (20 अक्टूबर 2025, सोमवार) – नरकासुर वध की कथा से जुड़ा पर्व।
बड़ी दिवाली / लक्ष्मी पूजन (21 अक्टूबर 2025, मंगलवार) – मुख्य दिवाली उत्सव।
गोवर्धन पूजा / अन्नकूट (22 अक्टूबर 2025, बुधवार) – भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की याद में।
भाई दूज (23 अक्टूबर 2025, गुरुवार) – भाई-बहन के प्यार का त्योहार।
Diwali 2025 का शुभ मुहूर्त
दिवाली तिथि: 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 07:08 बजे से रात 08:12 बजे तक अमावस्या की तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे होगी। यह तिथि 21 अक्टूबर 2025 की शाम 05:54 बजे समाप्त होगी।
दीपावली क्यों मनाई जाती है?
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे अमावस्या (नई चंद्रमा की रात) के दिन कार्तिक मास में मनाया जाता है। यह अंधकार को मिटाने, ज्ञान को बढ़ाने और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दिवाली मनाने के पीछे कई धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
भगवान राम की अयोध्या वापसी:
रामायण के अनुसार, भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन की खुशी में अयोध्या वासियों ने दीये जलाकर पूरे नगर को रोशन किया था। इसी घटना की याद में दिवाली मनाई जाती है।
माता लक्ष्मी की पूजा:
दिवाली को धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया:
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने दिवाली से एक दिन पहले राक्षस नरकासुर का वध किया था। इसके बाद लोगों ने खुशी में दीप जलाकर उत्सव मनाया।
पांडवों की वापसी:
महाभारत में बताया गया है कि पांडव 12 साल के वनवास और 1 साल के अज्ञातवास के बाद इसी दिन हस्तिनापुर पहुंचे। उनकी वापसी पर लोगों ने दीप जलाकर उनके स्वागत का पर्व मनाया।
जैन और सिख धर्म में महत्व:
जैन धर्म के अनुसार, इसी दिन भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था। सिख धर्म में, इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगल कैद से रिहा किया गया था।
इस दीपावली, अपने घर को दीयों से रोशन करें। माँ लक्ष्मी का स्वागत करें, जरूरतमंदों की मदद करें, और खुशी के साथ त्योहार का आनंद लें! “दीप जलें तो रोशनी आपकी दुनिया में हो, घर पर लक्ष्मी का आशीर्वाद हो!” 🪔🙏
Happy Diwali
Hi there, always i used to check webpage posts here early in the daylight,
because i like to find out more and more.