
GST क्या है? (GST kya hai)
GST (Goods and Services Tax) या वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यक्ष टैक्स है जिसे भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया। यह एक बहु-स्तरीय, व्यापक और गंतव्य-आधारित टैक्स है। इसने पुराने अप्रत्यक्ष टैक्स जैसे वैट, सेवा कर और एक्साइज ड्यूटी की जगह ले ली। GST का मकसद है “एक राष्ट्र, एक कर” की सोच को लागू करना ताकि देशभर में टैक्स सिस्टम को आसान और पारदर्शी बनाया जा सके।
जीएसटी में “इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का प्रावधान है। यह व्यापारियों को पहले चरण में दिए गए कर को इस्तेमाल करने का मौका देता है। यह कर वस्तु और सेवा की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
GST full form in Hindi
- GST full form in english – Goods and Services
- GST full form in hindi – वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सेवा टैक्स)
GST नंबर क्या होता है? (GST number kya hota hai)
जीएसटी नंबर (GSTIN – Goods and Services Tax Identification Number) एक 15 अंकों का विशेष पहचान कोड है। इसे हर जीएसटी रजिस्टर्ड व्यवसाय को दिया जाता है। यह कोड पैन कार्ड के साथ जोड़ा जाता है।
GST नंबर का फॉर्मेट:
- पहले 2 अक्षर – यह राज्य कोड होता है, जैसे कि 09 उत्तर प्रदेश के लिए।
- अगले 10 अक्षर – इसमें व्यवसाय का PAN नंबर होता है।
- 13वां अक्षर – यह पंजीकरण के आधार पर अलग होता है।
- 14वां अक्षर – यह हमेशा ‘Z’ ही रहता है।
- 15वां अंक – इसे चेक डिजिट कहते हैं, जो नंबर या अक्षर हो सकता है।
कोई भी व्यवसाय GST नंबर के बिना कानूनी तौर पर माल या सेवाओं की बिक्री नहीं कर सकता और ITC का लाभ भी नहीं लिया जा सकता।
भारत में GST का इतिहास (History of GST in India)
GST की शुरुआत और इसे लागू करने में लंबा वक्त लगा। इसका इतिहास इस तरह से है:
- 2000: अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने सबसे पहले GST का प्रस्ताव रखा।
- 2004: विजय केलकर समिति ने GST को लागू करने का सुझाव दिया।
- 2011: संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया।
- 2014: अरुण जेटली ने GST बिल को दोबारा संसद में पेश किया।
- 2016: संसद ने GST बिल को पास किया और राष्ट्रपति ने इसकी मंजूरी दी।
- 1 जुलाई 2017: GST पूरे भारत में लागू हुआ।

भारत में GST के लक्ष्य (Objectives of GST in India)
भारत ने 1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया। इसका प्रमुख लक्ष्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और एकीकृत करना रहा। GST के मुख्य लक्ष्य इस प्रकार हैं:
1. ‘एक देश, एक कर’ नीति शुरू करना
GST से पहले भारत में कई तरह के अप्रत्यक्ष टैक्स लगाए जाते थे, जैसे वैट, सेवा कर, एक्साइज ड्यूटी और एंट्री टैक्स। केंद्र और अलग-अलग राज्य इन करों को लागू करते थे। GST ने इन तमाम करों को एक ही सिस्टम में लाकर “एक देश एक कर” का सपना सच किया।
2. कर नियमों को आसान बनाना
पहले की कर व्यवस्था में तरह-तरह के टैक्स और उनके अलग-अलग नियम होते थे। इससे व्यापारी नियमों का पालन करने में परेशान हो जाते थे। GST ने ये प्रक्रिया आसान बनाई और तीन मुख्य टैक्स (CGST, SGST/UTGST और IGST) लागू किए।
3. कर चोरी और भ्रष्टाचार घटाना
GST के डिजिटल ढांचे और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की वजह से टैक्स चोरी कम हुई है। हर लेन-देन को ऑनलाइन ट्रैक किया जाता है, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
4. व्यापार करना हुआ आसान
हर राज्य के अलग-अलग टैक्स नियमों के चलते कारोबार में मुश्किलें होती थीं। GST ने इसे खत्म करते हुए पूरे देश में एकसमान बाजार तैयार किया है।
5. अर्थव्यवस्था को सुधार देना
GST ने उत्पादन और वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाया है। इसका सीधा फायदा व्यापार और निवेश को हुआ है। इससे देश की जीडीपी बढ़ने में भी मदद मिली है।
6. उपभोक्ताओं को फायदा
पहले टैक्स पर टैक्स लगने से चीजों के दाम बढ़ते थे। अब GST के इनपुट क्रेडिट सिस्टम ने आखिरी उपभोक्ता पर टैक्स का दबाव कम कर दिया है।
GST का मुख्य उद्देश्य भारत की कर प्रणाली को ज्यादा सरल, साफ और व्यापार के लिए बेहतर बनाना है। हालांकि चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं, लेकिन यह व्यवस्था समय के साथ मजबूत हो जाएगी।
भारत में GST के प्रकार (Types of GST in India)
भारत में GST को 4 मुख्य हिस्सों में बाँटा गया है:

1. CGST (Central GST)
- इसे केंद्र सरकार वसूलती है।
- यह एक ही राज्य के भीतर आपूर्ति पर लागू होता है।
2. SGST (State GST)
- इसे राज्य सरकार वसूलती है।
- यह भी एक ही राज्य के अंदर आपूर्ति पर लागू किया जाता है।
3. IGST (Integrated GST)
- इसे केंद्र सरकार ही वसूलती है।
- यह तब लागू होता है जब माल या सेवाएँ एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजी जाती हैं।
4. UTGST (Union Territory GST)
- यूनियन टेरीटरी में लगने वाला यह टैक्स केंद्र सरकार वसूलती है।
- यह केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होता है।
GST काम कैसे करता है? (How Does GST Work?)
GST एक मल्टी-स्टेज टैक्स है। यह हर स्टेप पर Value Addition यानी मूल्य वृद्धि पर लगाया जाता है। इसका तरीका इस तरह से काम करता है:
- निर्माता से लेकर खुदरा विक्रेता तक हर स्टेज पर GST लागू होता है।
- पिछले लेवल पर चुकाए गए टैक्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के जरिए एडजस्ट किया जाता है।
- आखिरी उपभोक्ता केवल आखिरी स्टेज का टैक्स चुकाता है।
उदाहरण:
- निर्माता → थोक विक्रेता → खुदरा विक्रेता → खरीदार
हर स्तर पर टैक्स लिया जाता है लेकिन ITC की वजह से डबल टैक्स नहीं लगता।
GST के फायदे (Advantages of GST)
- संपूर्ण कर नीति: देशभर में एक समान कर प्रणाली लागू।
- टैक्स चोरी पर लगाम: डिजिटल ट्रैकिंग ने टैक्स चोरी को घटाया।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC): व्यापारियों को पहले से दिए गए टैक्स का फायदा मिलता है।
- कारोबार में सरलता: अलग-अलग राज्यों के टैक्स की जटिलताएं खत्म हुईं।
- मूल्य स्थिरता: समय के साथ कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद।
GST के नुकसान (Disadvantages of GST)
- छोटे व्यवसायों पर दबाव: जटिल कॉम्प्लायंस प्रक्रिया।
- तकनीकी दिक्कतें: GST पोर्टल पर बार-बार आ रही समस्याएँ।
- कुछ चीजों पर कर बढ़ा: पहले से महंगे सामान और ज्यादा खर्चीले हो गए।
- शुरुआती उलझन: लोगों ने शुरुआत में नई प्रणाली को समझने में परेशानी झेली।
निष्कर्ष (Conclusion)
GST ने भारत की कर व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया है और अप्रत्यक्ष करों को आसान बनाया है। हालांकि, इसमें कुछ दिक्कतें रही हैं, लेकिन समय के साथ यह प्रणाली बेहतर होती जाएगी।