
2025 में होली का त्योहार 14 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। होली हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम, भाईचारे और उल्लास का प्रतीक है। होली से एक दिन पहले 13 मार्च, गुरुवार को होलिका दहन किया जाएगा, जो बुराई के अंत का प्रतीक है।
होली का पर्व प्रेम, उमंग, खुशियों और उत्साह का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गिले-शिकवे भूलकर रंगों के साथ होली खेलते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियाँ बाँटते हैं।
होली क्यों मनाई जाती है?
होली भारत का एक महत्वपूर्ण और पुराना त्योहार है। लोग इसे हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर मनाते हैं। यह त्योहार रंगों, खुशी और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक सांस्कृतिक और सामाजिक वजहें जुड़ी हुई हैं, जो इसे खास बनाती हैं। होली का त्योहार मनाने के मुख्य कारण और इसके महत्व इस प्रकार हैं:
1. होली का धार्मिक महत्व
होली मनाने के पीछे सबसे प्रमुख कारण इसका धार्मिक महत्व है। होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध प्रह्लाद और होलिका की कथा है।
प्रह्लाद और होलिका की कथा:
प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे, जबकि उनके पिता हिरण्यकश्यपु स्वयं को भगवान से ऊपर मानते थे। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ने के लिए कहा, लेकिन प्रह्लाद ने मना कर दिया। इसके बाद हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को मारने के लिए कहा। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है। होलिका दहन इसी घटना की याद में मनाया जाता है।राधा-कृष्ण की लीलाएँ:
होली का त्योहार भगवान कृष्ण और राधा की दिव्य प्रेम लीला से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने वृंदावन में गोपियों और राधा के साथ रंगों से खेलकर होली मनाई थी। इसलिए, होली को प्रेम और भाईचारे का त्योहार भी माना जाता है।
2. होली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
होली केवल धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
- सामाजिक समरसता – होली के दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और रंगों के साथ खुशियाँ मनाते हैं।
- रंगों का त्योहार – यह त्योहार सभी के जीवन में खुशियाँ और सकारात्मकता लाता है।
- परंपरागत व्यंजन – इस दिन गुझिया, मालपुआ, ठंडाई, दही भल्ले जैसे पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।
- फसल कटाई का पर्व – यह त्योहार रबी फसल की कटाई के समय आता है, जिससे किसानों के लिए यह नई खुशियों और समृद्धि का संदेश लाता है।
3. प्रकृति का उत्सव
होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। फाल्गुन माह में प्रकृति नए रंगों से सज जाती है। पेड़ों पर नई पत्तियाँ आती हैं, फूल खिलते हैं और मौसम सुहावना हो जाता है। होली के रंग प्रकृति के इन्हीं रंगों को दर्शाते हैं। यह त्योहार प्रकृति के साथ मनुष्य के सामंजस्य को भी दर्शाता है।
4. आध्यात्मिक महत्व
Holi 2025 का त्योहार आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। होलिका दहन के माध्यम से हम अपने अंदर की बुराइयों और नकारात्मकता को जलाकर नए सिरे से जीवन शुरू करने का संकल्प लेते हैं। यह त्योहार हमें सच्चाई, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Holi 2025 शुभ मुहूर्त
Holi 2025 का त्योहार 14 मार्च शुक्रवार को मनाया जाएगा। इससे पहले 13 मार्च, गुरुवार की रात को होलिका दहन किया जाएगा। Holi 2025 पर दहन का सही समय और होली वाले दिन रंग खेलने के शुभ घंटे इस प्रकार हैं:
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:
13 मार्च 2025 को रात 11:26 से 12:23 तक।
ध्यान देने योग्य बातें
होलिका दहन के समय पूजा करने और मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व होता है।
Holi 2025 के दिन रंग खेलने के लिए शुभ मुहूर्त का पालन करना शुभ माना जाता है।
Holi 2025 का त्योहार प्रेम, भाईचारे और उल्लास का प्रतीक है, इसलिए इसे सकारात्मकता और खुशी के साथ मनाएं|
Holi 2025 आपके जीवन में खुशियाँ और उत्साह लेकर आये!
Hi